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गुरु गोविंद सिंह जयंती 2024 : Guru Govind Singh Jayanti

guru govind singh jayanti
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Guru Govind Singh Jayanti 2024

Image Credit : InstaAstro

गुरु गोविन्द सिंह जयंती, सिख समुदाय में महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो हिन्दी पंचांग के अनुसार माघ मास के सुक्ल पक्ष की दसमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार गुरु गोविन्द सिंह की जन्म जयंती के रूप में मनाया जाता है और इसे धार्मिक और सामाजिक उत्सव के रूप में देखा जाता है।

गुरु गोविंद सिंह जयंती(Guru Govind Singh Jayanti) क्यों मनाया जाता है ?

धार्मिक महत्व: गुरु गोविन्द सिंह, सिख धर्म के दसवें गुरु थे और उनके उपदेशों ने सिख समुदाय को एक मजबूत आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने समाज में सामंजस्य, समरसता, और धर्मिकता को बढ़ावा दिया।

खालसा पंथ की स्थापना: गुरु गोविन्द सिंह (Guru Govind Singh) ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य सिख समुदाय की सुरक्षा और रक्षा है। गुरु गोविन्द सिंह जयंती इस महत्वपूर्ण घटना की स्मृति में मनाई जाती है।

आइए जानते हैं खालसा पंत के बारे में..

khalsa pant

Image Credit : India TV News

“ख़ालसा पंथ” सिख धर्म का एक समूह है। खालसा का अर्थ होता है “पवित्र” या “मुक्त” और यह समूह गुरु गोविन्द सिंह (Guru Govind Singh ) जी ने स्थापित किया था। खालसा पंथ की स्थापना खासकर आपसी सौहार्द और सामंजस्य की भावना को मजबूत करने के लिए की गई थी।

खालसा पंथ की स्थापना 1699 में हुआ था जब गुरु गोविन्द सिंह (Guru Govind Singh Jayanti) जी ने ‘खालसा’ बनाने का आदान-प्रदान किया। उन्होंने अपने अनुयायियों से पहले पंज प्यारे नामक पाँच सिखों को बुलाया और उन्हें खालसा बनाने के लिए इकट्ठा किया। उन्होंने एक बराती रूप में पानी में मिठा तैयार करके खालसा साधूओं के साथ मिलाया और उन्हें अमृत या अमृतवेला बनाने के लिए इसे एक स्वयंसेवक संगठन में बदल दिया।

खालसा पंथ के सदस्यों को “सिंह” और “कौर” नामों से जाना जाता है और उन्हें अपने बालों को बनाए रखने और विशेष पहनावे को धारण करने के लिए प्रेरित किया जाता है। खालसा समुदाय का मुख्य उद्देश्य सत्य, न्याय, और धर्म के लिए लड़ना है। यह धार्मिक समूह सिख धर्म के सिद्धांतों और मूल्यों का पालन करता है और समृद्धि और सामंजस्य की बढ़ती भावना को बढ़ावा देता है।

गुरु गोबिंद सिंह जी का बलिदान।

गुरु गोबिंद सिंह जी, सिख धर्म के दसवें गुरु थे और उन्हें सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह (Guru Govind Singh) जी कहा जाता है। गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं, लेकिन उनका बहादुरी और उनके बलिदान की कहानी अद्वितीय है।

1. चार साहिबजादे: गुरु गोबिंद सिंह जी के चार पुत्र थे जिनके नाम जान, जोज, जोरावर और फतेह सिंह थे। मुग़ल सम्राट औरंगजेब ने गुरु गोबिंद सिंह जी को दिल्ली में बुलवाया और उनके बच्चों को इस्लाम में धर्मानुयायी बनाने का प्रयास किया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने चार पुत्रों को इस दुर्व्यापक कठिनाई में भी इमानदार रहने की शिक्षा दी और उन्होंने अपने धर्म के लिए बलिदान देने के लिए तैयार किया।

2. खालसा पंथ की स्थापना: गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में वैसाखी दिवस को अमृत संग्रहण का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने पाँच प्यारे खालसा बनाए और सिख समुदाय को एक आत्मनिर्भर सेना बनाने का निर्देश दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख समुदाय को एक आराध्य रक्षक सेना के रूप में घोषित किया।

3. बलिदान की राह: गुरु गोबिंद सिंह जी ने, अपने जीवन के अंत में भी, अपने सिखों के लिए बलिदान दिया। उन्होंने अनेक संघर्षों का सामना किया और, अपने आत्मनिर्भर समुदाय की रक्षा के लिए अपना जीवन जोखिम में डाले।।

4. बच्चे पथान: गुरु गोबिंद सिंह जी की कई कविताएं और ग्रंथ उनकी साहसी और निडरता को दर्शाते हैं। उनका एक महत्वपूर्ण काव्य “बच्चे पथान” सिख समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें उन्होंने सिखों के साहस, बलिदान, और स्वतंत्रता की भावना से भारी हुई कहानियाँ बताई है।

गुरु गोबिंद सिंह जी का बलिदान सिख समुदाय के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बना है और, उनकी शिक्षाएं आज भी सिखों के जीवन में महत्वपूर्ण हैं।

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