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क्या है मकर संक्रांति ?
तो दोस्तों आज के इस ब्लॉक से हम जानने वाले हैं makar sankranti (2024) त्योहार के बारे में । मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाती है । यह त्यौहार सूर्य के मकर राशि में संक्रमण का प्रतीक है ,और शीतकालीन संक्रांति के अंत का प्रतीक है । यह त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाई जाती है । मकर संक्रांति एक प्राचीन काल हिंदू त्यौहार है । भारत में यह त्यौहार का बहुत ही महत्व है , जो कि सर्दियों के अंत का और शुभ अवधि की शुरुआत का प्रतीक है । मकर संक्रांति समृद्धि और विकास ,सकारात्मक और आनंद को बढ़ावा देने का समय को दर्शाता है ।
मकर संक्रांति (Makar sankranti) की परंपरा
मकर संक्रांति (Makar sankranti) दौरान हम पतंग उड़ाते हैं और पतंग उड़ाना महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व रखता है । यह पतंग उड़ाना भारतीय संस्कृति में गहरे अर्थ को दर्शाता है । यह गतिविधि बोझ चिताओं और नकारात्मक शक्ति को दूर करने का एक तरीका है ,ठीक उसी तरह , जैसे एक पतंग जमीन पर अपनी बाधाओं से मुक्त होकर खुले आकाश में उड़ता है । यह स्वतंत्रता, आशा और सपनों को दर्शाता है ।
जानिए कैसे मनाया जाता है मकर संक्रांति ? पूरे भारत में।
मकर संक्रांति (Makar sankranti) पूरे भारत में मनाया जाने वाला त्यौहार है।
गुजरात में मकर संक्रांति (Makar sankranti)को “उत्तरायण” के नाम से जानते है । गुजरात में लोग बड़े ही उत्साहित होते हैं पतंगबाजी में भाग लेने के लिए । परिवार छत पर इकट्ठा होते हैं और तिल और गुड़ से बनी “उंधियू” और “चिक्की” जैसी मीठी चीजों को खाकर यह त्यौहार मनाते हैं ।
दक्षिण में तमिलनाडु (Tamilnadu) में इसे “पोंगल” कहा जाता है । लोग अपने घरों को रंगोलिया से सजाते हैं और ताजा कटे चावल , गुड़ और दूध का उपयोग करके “पोंगल” नामक एक विशेष पकवान पकाते हैं । वह अपने घर के बाहर रंगीन पाउडर जैसे “कलम” के नाम से जाना जाता है । उसका उपयोग करके नई-नई डिजाइन (Design) बनाते हैं और घर को सजाते हैं ।
पंजाब (Punjab) में इसे “लोहड़ी” कहा जाता है और मुख्य रूप से शाम को “अलाव” जलाकर मनाया जाता है । लोग अलाव के चारों ओर गाना और डांस करते हैं और आग मैं मूंगफली , पॉपकॉर्न और तिल जैसे प्रसाद डालते हैं ।
मकर संक्रांति (Makar sankranti) की पूजा पाठ
मकर संक्रांति (Makar sankranti) के दिन लोग सूर्य देव का सम्मान और पूजा करते हैं । यह परंपरा महान सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है । मकर संक्रांति (Makar sankranti) की शुरुआत दिन में सुबह-सुबह गंगा जैसी पवित्र नदियों पर स्नान के साथ होती है । माना जाता है की , नदी में डुबकी लगाने का यह कार्य आत्मा को शुद्ध करता है और हमारे पापों को मिटा देता है ।
स्नान के बाद हम सूर्य देव को प्रार्थना करते हैं कि हमारे जीवन में सुख शांति बरकरार रहे । इसके बाद हम मंदिर और अपने देवी देवताओं को फूलों से सजाते हैं और फूल प्रसाद चढ़ाते हैं। इस दिन हम एक पवित्र भोजन तैयार करते हैं जिसे हम खिचड़ी के नाम से जानते हैं और यह भोग के रूप में भगवान को भी चढ़ता है ।
मकर संक्रांति (Makar sankranti) की खानपान
मकर संक्रांति (Makar sankranti) के दौरान स्वादिष्ट भोजन एक विशेष स्थान रखता है । इन पारंपरिक व्यंजनों में उपयोग होने वाली एक मुख्य सामग्री का नाम है “तिल”, जिससे हम तिल के “लड्डू” और “तिल चिक्की” बनाते है ।
दक्षिण भारत में मकर संक्रांति (Makar sankranti) में बनाए जाने वाला एक लोकप्रिय व्यंजन “पोंगल” है । यह चावल , दाल , गुड से बनाया जाता है । पोंगल को मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता है और पूर्व भारत में इसको “खिचड़ी” के नाम से जानते हैं । इसके अलावा इन व्यंजनों में उपयोग की जाने वाली सामग्री जैसे तिल और गुड स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है ।
पर्यावरण को कैसे बचाता है मकर संक्रांति (Makar sankranti 2024)
मकर संक्रांति (Makar sankranti)में हम पतंग और डोर बनाने के लिए बायोडिग्रेडेबल (Bio degradable) सामग्रियों का उपयोग करते हैं । पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्लास्टिक का उपयोग ना करके हम बास की छड़े और कागज या कपड़े जैसे चीजों का उपयोग करके पतंग बनाते हैं ।
दूसरा मुख्य कारण पर्यावरण को बचाने का यह है कि हम कांच वाली तार जैसी सामग्री का उपयोग न करके “सूती धागे” का प्रयोग करते हैं , जिससे कि पक्षियों के लिए खतरा नहीं बनता है ।
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